Jagjiwanlal Tiwari Kakka ki short lifestory
श्री जगजीवन लाल तिवारी कक्का जी की दूरदर्शिता एवं साहित्य प्रेम :-
समाज में विलुप्त हो रही साहित्य, संस्कृति और प्रकृति के प्रति अपनत्व और मानवीयता के लिए एक मिशाल के रूप में कक्का जी का नाम सर्वोपरि है। विंध्य प्रदेश में बोली जाने वाली बघेली बोली और साहित्य, कला संस्कृति के संयोजक और संरक्षण में कक्का जी का अवर्णीय योगदान है , वैसे तो श्री जगजीवन लाल तिवारी (Jagjiwanlal Tiwari ) कक्का जी साहित्य से जुड़े हुए एक विशेष हस्ताक्षर है जिन्होंने कविता के साथ गद्य और पद्य दोनों विषयों की रचना के साथ-साथ कवि सम्मेलन का आयोजन कला और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों की आयोजन के लिए जाने जाते हैं।

विंध्य प्रदेश और बघेली से जुड़ी हुई स्मृतियों के लिए अब्बल नंबर पर माने जाते हैं कविता कहानी के संग्रह के साथ ही न्यूज़ पेपर की कटिंग तक कक्का जी के पास 25 वर्ष पुरानी भी मिल जाती है जगजीवन लाल तिवारी कक्का जी नई पीढ़ी और समाज के लोगों को शिक्षा देने के उद्देश्य से कहते हैं कि हमारी नई पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता को छोड़कर भारतीय सोच को अपनाए तो निश्चय हमारे देश प्रदेश और गांव की साहित्य कला और संस्कृत विश्व में प्रसिद्धि हासिल करेगी और हम सब को एक कामयाबी हासिल होगी।

जगजीवनलाल तिवारी जी की उपलब्धियां :

विंध्य प्रदेश और बघेली से जुड़ी हुई स्मृतियों के लिए अब्बल नंबर पर माने जाते हैं कविता कहानी के संग्रह के साथ ही न्यूज़ पेपर की कटिंग तक कक्का जी के पास 25 वर्ष पुरानी भी मिल जाती है जगजीवन लाल तिवारी कक्का जी नई पीढ़ी और समाज के लोगों को शिक्षा देने के उद्देश्य से कहते हैं कि हमारी नई पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता को छोड़कर भारतीय सोच को अपनाए तो निश्चय हमारे देश प्रदेश और गांव की साहित्य कला और संस्कृत विश्व में प्रसिद्धि हासिल करेगी और हम सब को एक कामयाबी हासिल होगी।

जगजीवनलाल तिवारी जी की उपलब्धियां :
सन 1985 से लोक संस्कृति व लोक साहित्य को बढ़ावा देने, तालाब बचाओं अभियान, पानी बचाओ इत्यादि पर्यावरणीय कार्यो में संलग्रता। इसके साथ ही बहुचर्चित बघेली लोक रचना शिविर, ठहाका, राष्ट्रीय कवि
सम्मेलन, शम्भू काकू सम्मान, विंध्य शिखर सम्मान एवं विंध्य महोत्सव जैसे महत्वपूर्ण सफल व सतत आयोजन। इस बीच कई मंचों पर सम्मान की प्राप्ति।
#Jagjiwanlal Tiwari Kakka एक बहुत अच्छे कवि व लेखक। सामाजिक सरोकार में भी पीछे नहीं। नगरनिगम जैसी संस्था में काम करने के बावजूद निर्दाग दामन सहित अन्य विशेषताओं के श्री कक्का धनी है। लोग इन्हें कक्का नाम से संबोधित करते हैं। देश के माने-जाने साहित्यकार व राष्ट्रीय कवि जो पद्मविभूषण, पद्मभूषण एवं पद्म श्री सम्मान से नवाजे गए हैं। उनके हरदिल अजीज हैं जगजीवनलाल तिवारी
उर्फ कक्का।
गीत
चिट्ठी में लिख लिख कर के कुछ माँ ने काटा है
लगता है कुछ छिपा लिया, कुछ मुझसे बाँटा है
कटी हुई.. आड़ी-तिरछी रेखाएं कहती हैं
माँ भी पर्वत काट काट नदिया सी बहती हैं
उस नदिया में ज्वार बहुत है थोड़ा भाटा है
अक्षर अक्षर चीख रहे हैं पंक्ति पुकार रही
प्रश्न चिन्ह कह रहे हैं सारी विपदा रही सही
चिंता में चिट्ठी चिपकी है, चिपका आटा है
खत में नहीं खबर खेतों की, आँगन की, घर की
लगता है बापू की पगड़ी फिर सर से सरकी
लगता है घर में माँ - बापू और सन्नाटा है
Jagjiwanlal Tiwari Kakka जी का संदेश
हमारे समाज में जो पश्चिमी सोच की अवधारणा गहराई तक समावेशित हैं।उससे हमें बचना है। इसके लिए समाज को पुनः भारतीय संस्कृति की ओर लौटना होगा। जिसमें लोक साहित्य व लोक संस्कृतिक का संरक्षण व संर्वधन अति जरूरी है। हमें भौतिकता की अंधी दौड़ के विमुख आचरण करते हुए उन्हें पूनः पाने की कोशिश भी करनी होगी। जो कभी हमारे समाज व देश के लिए गौरव की पराकाष्ठा रही है। इसके साथ ही बघेली के उत्थान व परिमार्जन के लिए भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। श्री कक्का ने एक उदाहरण देते हुए अपने
संदेश में कहें है.
#श्री जगजीवन लाल तिवारी (Jagjiwanlal Tiwari ) जी की रचना
लो गाँव लौटकर हम फिर आये
गॉव तुम्हें हम भुला न पाये
लो गाँव लौट कर फिर हम आये
बचपन में दादी की लोरी,
चन्दा मामा दूध कटोरी,
फिर मुंडेर की धूप कुनकुनी,
ऑगन आती चोरी-चोरी,
चौके में मॉ सपने बुनती
कौन उसे समझाये
लो गॉव..
कातिक जाड़ा शाम ढलान,
मुखिया के घर पड़ी लगान,
कथा-कहानी, तोता-मैना,
संझबाती, रामायण गान,
बीते दिन की बात सुहानी
अपने कौन परायें
लो गाँव...
अलगू-जुम्मन के बटवारे,
काका सुनते हैं मन मारे,
धर्म, कर्म सब दुआ बंदगी,
बेमतलब के लगते सारे,
गॉव को किसी नजर लगी है,
ओझा पण्डित को बतलायें,
लो गॉव......
जगजीवन लाल तिवारी की छाया चित्र
विंध्य प्रदेश के कवि , और साहित्यकार

श्री जगजीवन लाल तिवारी (Jagjiwanlal Tiwari ) जी के बारे में आप तस्वीर के माध्यम से भी बहुत कुछ जान चुके है।
नोट : विंध्य प्रदेश और बघेली बोली /बघेली बोली के कवी, साहित्यकार , डिजिटल कलाकार , रंगमंच कलाकार और संगीत से जुडी जानकारी के लिए हमारी वेब साइट पर विजिट जरूर करे।
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद ...... ।
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