Shriniws Nivas Shukl "saras" (Bagheli Kavi & Sahityakar) Introduction
Dr. श्रीनिवास शुक्ल "सरस " जी का जीवन परिचय और उपलब्धिया
# Bagheli shabdkosh (बघेली शब्दकोश डाऊनलोड )
शुभ नाम : श्रीनिवास शुक्ल "सरस "
पिता : स्व. पं. जगदीश प्रसाद शुक्ल
माता : श्रीमती रमकी देवी
जन्म : 03/04/1950
जन्म स्थान :ग्राम-भमरहा, पोस्ट-मनकेशर,
तहसील -अमरपाटन , जिला- सतना मध्य प्रदेश
शिक्षा : एम ए (हिन्दी साहित्य) से पीएचडी
प्रदेय : सिध्दांत पब्लिकेशन के निर्देशक रहे और बघेली साहित्य परिषद् सिधी में सचिव रहे, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में कविताओं का प्रसारण करते थे, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से डाँ. श्रीनिवास सरस का ‘काव्य-लोक’ विषय पर लघु शोध-प्रबंध का लेखन / कवि सम्मेलन के मंचों पर काव्य-पाठ, देश और प्रदेश के प्रतिनिधि पत्र-पत्रिकाओ में रचनाओं का प्रकाशन, म.प्र . स्नातक पाठ्यक्रम हिन्दी साहित्य में पांच कविताएँ एवं जीवन परिचय 2002 से स्वीकृत, मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति संचालन का उपक्रम, मध्यप्रदेश आदिवासी बोली विकास अकादमी भोपाल द्वारा कई वर्षों तक मेहनत करके बघेली शब्दकोश का प्रकाशन एवं संरक्षण।
उपलब्धि : गौतम रचना मंच सतना द्वारा 1975 में ‘सरस’ की उपाधि दी गई, मध्यप्रदेश शासन हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा 1990 मे, ‘सैफू सम्मान’ , सन् 1991 में श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा ‘वीरबल' सम्मान, सन् 2002 में बघेली शब्दकोश के लिए ‘शरद स्मृति सम्मान’ ,, सन् 2011मे‘बाण वीर सम्मान’ ,, और सन् 2011 में उदयपुर में राज्स्थान सरकार द्वारा, ‘अतिथि कवि सम्मान’ , और भी कई सारे छोटे मोटे सम्मान से सम्मानित किया गया.
प्रकाशित कृतिया : 1- रसखीर (बघेली कविताएं, 2-अमरउती (बघेली कविताएँ), 3-अजुरी भर अॅजोर (बघेली कविताएं), 4-बघेली शव्दकोश, 5-चुप रह दादू भउसा है(बघेली गजल), 6-आमा केरि टिकरी झरिगै(बघेली मुक्तक), 7- मॅहतारी बिटिया (बघेली गजल), 8-बघेली लोक कथाएं, 9-बघेली मुक्तक अउर गजल, 10-सरस सौरभ। 11-आयाम के पंख, 12-रुद्रशाह (खण्ड काव्य), 13-सीधी जिले का साहित्यिक सांस्कृतिक इतिहास।
श्रीनिवास शुक्ल "सरस " जी की छाया चित्र :
श्रीनिवास शुक्ल "सरस " जी की रचनाये पढ़ने के लिए आप www.baghelisahityakar.com पर विजिट कर सकते है अथवा लिंक पर क्लिक कर सकते है।
श्रीनिवास शुक्ल "सरस " जी की रचनाये आप उनके यूट्यूब चैनल : Shri Niwas Shukla Saras
पर भी देख सुन सकते है।
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धन्यवाद ....
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