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इंद्रावती नाट्य समिति सीधी ने रचा इतिहास : मध्य प्रदेश के जिला जेल सीधी में कैदियों को दिया नाटक का प्रशिक्षण



जिला जेल सीधी में आज 21 दिवसीय प्रस्तुति परक प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर सुधार गृह के बंदियों एवं कैदियों द्वारा तैयार किया गया | हवीब साहब के कालजयी नाटक चरणदास चोर' का बघेली बोली बानी में मंचन किया गया | नाटक का रूपांतरण एवं निर्देशन #रोशनी भैया ने किया एवं सहनिर्देशन #करुणा सिंह चौहान ने किया साथ ही बतौर प्रशिक्षक #नीरज कुंदेर भैया और #रजनीश जायसवाल की अहम भूमिका रही | सीधी रंगमंच परिवार में एक रोशनी भैया ही हैं जो ऐसे चैलेंज को स्वीकार करते हैं और उसे सफलता तक पहुंचाते हैं चाहे वह दूर देहात में ग्रामीण बच्चों के साथ नाटक तैयार करना हो, आदिवासी बच्चों के साथ नाटक तैयार करना हो और चाहे जेल जैसी संवेदनशील जगह और विषम परिस्थिति वाले माहौल में "चरणदास चोर" करना हो।
हम सब भी उन्हीं के साथ ऐसे अभूतपूर्व कारनामे का हिस्सा बन जाते हैं। जिला जेल के कैदियों ने नाटक का बेहतरीन प्रदर्शन किया खूब ठाहाके लगे और दर्शक खूब रोए भी। जेल अधीक्षक #कुलवंत सर का बहुत बहुत आभार की हमे यह मौका दिया और आपने यह भी कहा कि आप सबके आने से हमारे जेल का माहौल बदल गया है | हम अपने कैदियों को सप्ताह में एक दिन सांस्कृतिक कार्यकर्म के लिए परिसर में मुक्त रखेंगे और समय समय पर आप सब आकर उन्हें प्रशिक्षित करते रहें |
#गिरिजा_सर ने कहा था कि यह कार्यशाला तुम लोगों को याद रहेगी जीवन भर और यह कहते हुए सर ने अपना "आंखो देखी फांसी" का ज़िक्र किया | बिल्कुल सर सुधारगृह के कैदी और बंदी जब बतौर कलाकार सबसे अपना परिचय कराने लगे तो वह क्षण उनके लिए और हम लोगों के लिए बेहद खास और  सुखद था आंखे नम हो गईं जब यह कहा गया कि सभी कलाकार अपना - अपना परिचय कराएं। यकायक सबकी आंखें भर आईं। यह और बात है कि वह किसी न किसी अपराध में यहां हैं। लेकिन 21 दिन पहले ही तो उन्हीं सिपाही और दर्शकों की नज़र में अपराधी थे और आज वही लोग उन्हें बतौर कलाकार सम्मान दे रहे हैं।
सभी बंदी मित्रों ने नाटक उपरांत कार्यशाला को लेकर अपने अनुभव साझा किए और कुछ ने सज़ा पूरी होने के बाद रंगमंच से जुड़ने की बात कही। सबने बहुत अच्छा अभिनय किया | महिला बंदियों ने बघेली लोकगीतों का बेहतरीन गायन किया। महिला बंदियों के लोकगीत गायन के पूर्वाभ्यास में मै कई दिन उपस्थित रहा खूब सारे गीत सुने, सुनाए और संग्रह किए |
यह अनुभव जीवन के कुछ बेहतरीन अनुभवों में रहा इसके लिए रोशनी भैया, नीरज भैया, कुलवंत सर, तिवारी जी और तमाम बंदी मित्रों का तहेदिल से आभार। रोशनी भैया 21 दिन में ही जेल का माहौल बदलने में सफल रहे विदा लेते वक्त बंदी, कैदी और सिपाही सब ने कहा -

   "अपना पंचे बीच - बीच मा आबत रहब बिसरब न हमका पांच का... इहां से छूटे के बाद हम पांच सबसे पहिले अपना के लघे अउब "|

पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद :-

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