[महिला नागा साधु ] कैसे बनते है ? Kumbh Mela 2019 (कुंभ मेला ) का शाही स्नान
महिला नागा साधू -[ प्रयागराज ,हरिद्वार , नासिक और उज्जैन] (India)
महिला नागा साधु कैसे बनते है इस बात की जानकारी पाने के लिये लोग अपने बढे बूढ़े या बुजुर्गो और साधु - महात्मा इत्यादि लोगो से पूछ ताछ करते है जब इसका सटीक या वृस्तृत जानकारी नहीं मिलती तो लोग इंटरनेट में खगालना शुरू कर देते है, क्यों की वर्तमान समय में मनुष्य का पूरा जीवन ही इंटरनेट से प्रभावित हो चुका है वो इंटरनेटके द्वारा भांति भांति की जानकारी प्राप्त करता रहता है।
पुरुष नागा साधु और महिला नागा साधु बनने के बारे में कई तरह की मान्यताये प्रचलित है, महिला नागा साधुओ से जुड़ी इस जानकारी के बारे में जानकर आप हैरान हो जायेगे इनकी जिंदगी इतनी आसान नहीं है बहुत ही कठिन प्रक्रिया या तो ये कहु की अत्यंत कठोर परीक्षा से गुजरना पड़ता है जो त्याग और सभी तरह के सुख सुविधा का बलिदान कर सकता है वही इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए उपयुक्त हो सकता है क्यों की इनकी परीक्षा कोई साधारण परीक्षा नहीं होती की चंद दिनों में निर्णय लिया जा सके नागा साधु या सन्यासन बनने के लिये १० से १५ साल तक कठिन ब्रम्हचर्य का पालन करने के साथ साथ काम वासना पर पूर्ण विजय प्राप्त करना पड़ता है जो भी महिला साधु या सन्यासन बनाना चाहती है उसे उसके आचार्य (गुरु) के द्वारा बताये गये नियमो का सख्ती से पालन करना पड़ता है और इस बात का पूर्ण विश्वास दिलाना पड़ता है की वह साधु बनने के सभी माप दंड को पूर्ण कर रहीं हैं।
महिला नागा सन्यासन बनने से पहले अखाड़े के साधु -संत उस महिला के घर वाले तथा उसके जानने वालो से भी पूरी जांच पड़ताल करते है और उसके पिछले जीवन की कहानी का भी जायजा लेते है जब गुरु जी इस बात का एहसास कर लेते है की सब कुछ माप दंड के अनुसार सही है तो भी महिला नागा साधु बनने से पहले खुद के जिन्दा रहते हुए भी अपना पिण्डदान करना पड़ता है और अपना मुंडन भी कराना पड़ता है उसके पश्चात स्नान के लिए नदी भेजा जाता है महिला नागा सन्यासन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर शिव जी का जाप करती है पूरा दिन जप ध्यान में व्यतीत होता है और शाम को दत्तात्रेय भगवान की पूजा करती है। सिंहस्थ और कुम्भ में नागा साधुओ की तरह ही महिला नागा संन्यासिन भी शाही स्नान करती है।
शाही स्नान और मौनी अमावस्या
#शाही स्नान कुंभ मेला 2019 में १५ जनवरी को पहला , इसके बाद 4 फरवरी को दूसरा और 10 फरवरी को तीसरा शाही स्नान है। कुंभ में मौनी अमावस्या ( 4 फरवरी) का बहुत महत्व है इस समय सभी अखाड़े के साधु संत महात्मा और कल्पवासी मौजूद रहेंगे हमारे हिन्दू धर्म ग्रन्थ के अनुसार ऐसी मान्यता है की शाही स्नान और मौनी अमावस्या के दिन गंगा जी के जल से स्नान करने पर व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और उसके कई पीढ़ी के लोग भी भव सागर से पार हो जाते है इसी मान्यता के कारन तथा और भी कई कारणों से प्रयागराज ,हरिद्वार , नासिक और उज्जैन में मेला लगता है और स्नान के लिए लोग देश विदेश तक से श्रद्धालू आते है #कुम्भ मेले में नागा साधु सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र होते है लोग इनके दर्शन के लिये लालाइत रहते है।
भाई बढ़िया लिखा है आपने
ReplyDeleteकई लाखों भारतीय, पुरुष और महिला, युवा और वृद्ध, व्यक्ति और भिक्षु, इलाहाबाद कुंभ मेला में आते हैं । भारत में पवित्र स्थल त्यौहार, कहा जाता है मेलों, हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एक देवता या शुभ ज्योतिषीय काल के जीवन में एक पौराणिक घटना का जश्न मनाते हुए, देश भर से तीर्थयात्रियों की भारी संख्या को आकर्षित करता है।
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