४००००० चार लाख पार .... Bagheli comedian Avinash Tiwari

आपका प्यार ( ४००००० ) चार लाख पार .... 

# कॉमेडी सुपर स्टार अविनाश तिवारी ने अपने ( ४००००० ) चार लाख सदस्य पुरे हो जाने पर अपने चैनल के सभी सदस्यों को बधाई देते हुए कहा  की आज हमारे परिवार मे ( ४००००० ) चार लाख  लोग हो गए है। हमारा परिवार ( ४००००० ) चार लाख लोगो का हो चूका है और वो दिन दूर नहीं जब हमारे परिवार(चैनल ) में सबसे ज्यादा लोग होंगे चाहे वो बघेली बोली के हो या हिन्दी भाषा के हो या अन्य संबंधित  भाषा के बोलने समझने वाले हो। 

कॉमेडी सुपर स्टार अविनाश तिवारी

आज वर्तमान समय में हमारे मीडिया में कुछ परीवर्तन हुआ है लोग you tube (यूटूब ) पर काफी इंगेज़ होने शुरू हो गये है समय की कमी और समय की बाध्यता का सबसे सही उपचार  you tube (यूटूब ) के पास है मनोरंजन के साथ साथ एजुकेशन, न्यूज़, इत्यादि की वीडियो बड़े ही आसानी से  you tube (यूटूब ) पर मिल जाती है और  you tube (यूटूब ) दूसरे नंबर का सबसे बड़ा सर्च इंजन माना जाता है जो you tube (यूटूब ) पर नहीं दिखता उसकी विजीवलटी उतनी नहीं मानी जाती है। ऐसा कुछ विद्यमानो का कहना है।   

अविनाश तिवारी # bagheli comedy  (कॉमेडी सुपर स्टार) की सफलता का राज   

   हर व्यक्ति के सफलता के कुछ न कुछ राज जरूर होते है कुछ न कुछ घटना होती है जो की बड़ी मार्मिक भी हो सकती है प्राकृतिक भी हो सकती है।

(१) सरल व्यक्तित्व
(२) देश प्रेम
(३) परोपकार की भावना
(४) नेचुरलटी  होना , दिखावटी न करना
(५) दुसरो को श्रेय देना
(६) सामाजिक स्तर बनाये रखना
(७) अपमान करने वाले को भी सम्मान पूर्वक समझाना
(८) अपने से बड़ो का सदैव आदर करना
(९ ) अपने चैनल को व्यवसायिक रूप न देकर सामाजिक स्तर प्राप्त करना
(१०) कपट की भावना , तथा अपना स्वार्थ देखने से बचना अदि।
(११) हाजिर जबाब 

ये कुछ प्रमुख कारण है जो की दर्शाया गया है बाकि और बहुत से भी कारण है जिन्हे हम लिख नहीं सकते बस इतना ही कह सकते ही की आप खुद से ही इनके चैनल Avinash Tiwari पर you tube  मे सर्च करके देख ले खुद से भी अनुभव करे और दुसरो को भी बताये।
धन्यवाद 

Comments

Popular posts from this blog

Comedian UTTAM KEWAT (उत्तम केवट) Satna Madhya Pradesh

Bagheli mahakavi Shambhu prasad Dwivedi शम्भूप्रसाद द्विवेदी (Shambhu kaku) शम्भू काकू (Sahityakar) Introduction

Shriniws Nivas Shukl "saras" (Bagheli Kavi & Sahityakar) Introduction