baghel bagheli baghelkhand
बघेल बघेली बघेलखण्ड
मै श्रीवेन्द्र कुमार त्रिपाठी #(SHRIVEN DRA KUMAR TRIPATHI ) (गुढ़ ) रीवा मध्य प्रदेश का निवासी हू, जो की बघेलखण्ड मे आता है। मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है जब कोई कलाकार बघेली भाषा मे अपनी कला को प्रदर्सित करता है जैसे कविता सुनाना , लोकगीत गाना, निबंध लिखना।, नाटक या रामलीला प्रस्तुत करना इत्यादि।
हमारा प्रदेश कुछ चीजो मे पीछे जा रहा था परंतु हमारे प्रदेस के सपूतो ने उस पर भी कार्य शुरू कर दिया है।
आज से कुछ (२०) साल पहले तक लोग रामलीला को विसेस महत्व देते थे मनोरंजन के साथ -साथ धर्म का भी प्रसार -प्रचार होता था लोगो को ज्ञान भी मिलता था
परन्तु जब से टेलीविजन में रामायण आने लगा तो लोगो का रामलीला की तरफ ध्यान कम हो गया लोगो ने घर पर ही रामलीला का आनंद लेना शुरू कर दिया क्यों की उसमे उससे भी बढ़िया अभिनय के साथ -साथ साउंड तथा तरह तरह के प्रभाव से युक्त चीजे देखने को मिलने लगी। लोग डिजिटल के तरफ जाने लगे।
धन्यवाद
अतः मैन बघेली भाषा एवं संस्कृति के विकास के लिये डिजिटल तरीका अपनाते हुए बघेलखण्ड को संसार के मानचित्र में विकसित रूप में देखना हू। इसके लिये सदैव प्रयास करता रहुगा।
अक्टूबर 2019 की बघेलखण्ड की विशेष यात्रा :-
विंध्य प्रदेश के सभी डिजिटल कलाकार , रंगमंच कलाकार एवं साहित्यकारों से उनके निवास स्थान पर जाकर सामूहिक मुलाकात किये और उन्हें एक जुट मिल कर काम करना है एक दूसरे का सहयोग करना है। एवं क्वालटी पर विशेष ध्यान देना है इस चीज के लिए प्रेरित किये। साहित्यकारों के लिए विशेष रूप से एक वेबसाइट का निर्माण कराकर उन्हें डिजिटल प्रमोशन का काम शुरू किया हमारी बघेली बोली भाषा के उत्थान,
संवर्धन और संरक्षण के लिए :- www.baghelisahityakar.com का संचालन शुरू किया। नीचे कुछ छाया चित्र संलग्न है।
S. K टावर रीवा में विदाई के समय उपस्थित हुए सभी मित्र गण
Rewa चौपाटी में साईं बाबा के दर्शन के बाद सभी ने आइसक्रीम का मजा लिया
बघेली साहित्यकार आदरणीय राजकुमार शर्मा जी के घर पर मिलने के लिए जब गए तो बघेली की बहुत सारी चीजे जानने को मिली और एक पुस्तक "भिनसार " उपहार स्वरूप प्राप्त हुई।
रीवा के प्रसिद्ध पोहा की दुकान पर सभी के साथ सुबह का नाश्ता करते हुए।
Nyc
ReplyDeleteThanks
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