Nari hi is duniya ki bhagy vidhata
नारी ही इस दुनिया की भाग्य विधाता आज वर्तमान समय मे नारी की गरिमा को मनुस्य भूलता जा रहा है ! "नारी ही नारायणी है" ये पंक्ति आपने जरूर सुना या पढ़ा होगा इसी बात को बघेली के प्रसिद्ध कवि जीतेन्द्र तिवारी जो की बघेलखण्ड के निवासी है अपनी कविता के माध्यम से प्रस्तुत करते है। नारी ही इस दुनिया की भाग्य विधाता है फिर तू उससे क्यों जान की बाजी लड़ाता है। जितने भी बहादुर हुये उन सबकी नारी ही माता है उसे बड़ा आनंद आता जब उसका पुत्र उसको शीश झुकाता है नारी के नारित्व को पुकार कर खिलवाड़ मत करना आग की चिंगारी है वो जल जाओगे वरना तुम्हारा यह घाव सात जन्मो मे भी नहीं भरेगा फिर उसमे कोई दवा मलहम काम नहीं करेगा यही तुम्हारे लिये है बेहतर की नारी को भूलकर भी न समझना मेहतर नारी के क्रोध के आगे देवता भी दुम दबाकर भागे मनुष्य तो भला उसके लिये बच्चे जैसे सीधे -साधे मनुष्य तो भला उसी से जन्म लेता है फिर आगे चलकर उसी को गाली देता है ...